SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 281
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन-दर्शन - - कुटुम्बियों को एक दिन का सूतक मानना चाहिये यदि कोई पुत्र अपने माता पिता के मरने के समाचार दश दिन बाद सुने तो तो उसको सुनने के दिन से प्रारम्भकर पूर्ण दश दिनका सूतक मानना चाहिये। तथा अन्य दूर वा निकट के कुटुम्बियों को पहले के समान एक दिन का सूतक मानना चाहिये । यदि देशांतर में पति का मरण हो जाय तो पत्नी को दश दिन का सूतक मानना चाहिये, यदि देशांतर में पत्नी का मरण हो जाय तो पति को दश दिनका सूतक मानना चाहिये । यदि कोई स्त्री दश दिनके बाद दूर देश में मरे हुए अपने पति का समाचार सुने तो उसको पूरा सूतुक मानना चाहिये । इसी प्रकार यदि पति दश दिनके बाद दूर देश में मरी हुई अपनी स्त्री का समाचार सुने तो उसे भी उस समय से पूर्ण दश दिन तक सूतक मानना चाहिये । यदि अनेक वर्षों के बाद भी माता पिता के मरने के समाचार सुने जाय तो भी पुत्र को पूर्ण दश दिन का सूतक मानना चाहिये, इसी प्रकार अनेक वर्षों के बाद पति के मरने के समाचार सुनकर पत्नीको पूर्ण सूतक मानना चाहिये और पत्नी के मरने का समाचार सुनकर पति को भी पूर्ण सतक मानना चाहिये । यदि पिता के मरने के दश दिन के भीतर ही माता का मरण हो जाय तो पुत्र के लिये पिता की शुद्धि होने पर्यंत ही पूर्ण सूतक माना जाता है । यदि माता के मरने के दश दिन के भीतर ही पिताका मरण हो जाय तो पिता के मरने के दिन से लेकर दश दिन तक पूर्ण सूतक मानना चाहिये। यदि माता पिता दोनों का मरण एक ही साथ सुना जाय तो सुनने के दिन से
SR No.010212
Book TitleJain Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalaram Shastri
PublisherMallisagar Digambar Jain Granthmala Nandgaon
Publication Year
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy