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________________ ६६ इस 25 वी शताब्दी समारोह के अवसर तक यदि हम अपने अपने नगर या स्थान के प्रत्येक व्यक्ति से सम्पर्क कायम करके महावीर की कल्याणमयी वाणी उन तक पहुँचाते है तो यह भी एक सराहनीय सेवा होगी । परन्तु महावीर तो सारे भारत और विश्व के लिए है । हमने उन्हे सीमित क्यो कर रखा है ? जन-सम्पर्क की एक योजना बनाई जाये । प्रत्येक जिला, नगर, तहसील अपने आसपास के गावो की एक सूची तैयार करे । जहाँजहाँ भी यातायात की सुविधा प्राप्त हो वहाँ 5-7 कर्मठ अनुभवी व्यक्तियो के प्रतिनिधि मण्डल भेजे जाये । मण्डली में गायक, उपदेशक, कवि, कथाकार, चिकित्सक तथा सहायता ( Relief) बॉटने वाले व्यक्ति होने चाहिये । कोई कटाक्ष की बात न हो, कोई धर्म परिवर्तन का उद्देश्य न हो । केवल मानव धर्म, अहिंसा धर्म, प्रेम-धर्म, समानताधर्म का प्रचार किया जाये । उस प्रदेश के लोगो की कपडे से, दवाई से, रोजगार से तथा ज्ञानदान से सहायता की जाये । उन्हे बताया जाये कि राम, कृष्ण, महावीर, बुद्ध, नानक, गांधी भारत के ही रत्न थे । वे आपको उन्नत बनाना चाहते थे । इन सब सेवाओ के लिये सरकारी सहायता की उपेक्षा न की जाये । आखिर सरकार भी तो हम ही लोग हैं । हमारे आंदोलन का उद्देश्य होना चाहिये अज्ञानता, दुख-दर्द, पीड़ा, बेकारी को दूर करना तथा सहानुभूति, समानता और मैत्री का वातावरण उत्पन्न करना एव बडो का आदर और छोटों से प्रेम करना । (xiii) केन्द्रीय दान प्रणाली: 25वी शताब्दीसम्बन्धी स्थानीय और केन्द्रीय अहिंसा आदोलन को चलाने के लिए धन की आवश्यकता पड़ेगी । जन-जन की सहायता से घन एकत्रित किया जाये। सभी छोटे बड़े इस महान् यज्ञ में भागीदार बने । योजना बड़ी सरल सहल, परन्तु प्रभावकारी है:
SR No.010210
Book TitleJain Bharati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShadilal Jain
PublisherAdishwar Jain
Publication Year
Total Pages156
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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