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________________ अध्याय जैनधर्म का प्रभाव क्षेत्र भगवान महावीर के युग में जैन धर्म भारत के विभिन्न भागों में फैला। इसका जिक्र पहले किया जा चुका है । सम्राट अशोक के पुत्र सम्राट् सम्प्रति ने जैन धर्म का सन्देश भारत के बाहर भी पहुंचाया। उस समय जैन मुनियो का विचरण-क्षेत्र भी विस्तृत था। (i) श्री "विश्वम्भर नाथ पाण्डे" ने अहिंसक परम्परा की चर्चा करते हुए लिखा है:___ "ईसा की पहली शताब्दी मे और उसके पीछे हजार वर्ष तक जैन धर्म "मध्य-पूर्व" (Middle East) के देशों में किसी न किसी रूप में "यहूदी धर्म" "ईसाई धर्म" और "इस्लाम धर्म" को प्रभावित करता रहा है" (ii) प्रसिद्ध जर्मन इतिहास-लेखक "वान क्रेमर" के अनुसार मध्य-पूर्व में प्रचलित “समानिया" सम्प्रदाय "श्रमण" शब्द का अपनश है। (iii) इतिहास लेखक "जी० एफ० मूर" लिखता है: "हजरत ईसा के जन्म की शताब्दी से पूर्व 'ईराक', 'श्याम' और 'फिलस्तीन' में जैन मुनि और बौद्ध भिक्ष सैंकड़ों की संख्या में फैले हुए थे।" (19) "सियाहत-नामा-ए-नासिर" का लेखक लिखता है कि इस्लाम धर्म के "कलन्दरी' तबके पर जैन धर्म का काफी प्रभाव पड़ा
SR No.010210
Book TitleJain Bharati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShadilal Jain
PublisherAdishwar Jain
Publication Year
Total Pages156
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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