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________________ ७३ गांधी जी ने विलायत जाते समय मांस नहीं खाना, शराब नहीं पीना और किसी की स्त्री को बुरी दृष्टि से नही देखना तीन प्रतिज्ञायें जैन साधु बेचर स्वामी से ली और उनका जन्म भर पालन किया। बिलायत से लौटने पर वे श्री रायचन्द्र भाई के सम्पर्क में आए और उनके शतावधानी गुण के कारण अत्यधिक प्रभावित हुए। अफ्रीका में जब एक अग्नेज उन्हे ईसाई बनाने का असफल प्रयत्न करने लगा तो उन्होने 27 प्रश्न रायचन्द्र भाई से किए जिनका उत्तर पा वे सन्तुष्ट हए और उन्हें हिन्दूधर्म में सभी बाते मिल गई जो वे चाहते थे। उनके जीवन पर तीन व्यक्तियों की छाप पडी है-टालस्टाय से पत्रव्यवहार द्वारा, रस्किन की एक पुस्तक जिसका उन्होंने सर्वोदय नाम रक्खा और रायचन्द्र भाई के साथ सम्पर्क में आकर । इसलिए उनके मन में उनके प्रति बहुत आदर था । गांधी जी ने अहिंसा के द्वारा ही देश को स्वतन्त्र बनाया। यह महान कार्य किसी धार्मिक कट्टरता के बल पर नही किन्तु नाना धर्मों के प्रति “सद्भाव व सामजस्य" बुद्धि द्वारा ही किया गया था । यही प्रणाली जैन धर्म का प्राण रही है। धर्म की अविच्छिन्न परम्परा एव उसके अनुयायियों की समृद्धि के फलस्वरूप ई० सन् 1230 में सेठ "तेजपाल' ने 'आबू पर्वत' पर उक्त आदिनाथ मदिर के समीप ही 'भगवान नेमिनाथ का मन्दिर' बनवाया जो अपनी शिल्प कला मे केवल उस मन्दिर के ही तुलनीय है। _12वी व 13वी शताब्दी में और भी अनेक जैन मन्दिरो का आबू पर्वत पर निर्माण हुआ जिस कारण से उस स्थान का नाम 'देलवाडा' (दिलवाडा) अर्थात् देवो का नगर पड गया। इसी प्रकार
SR No.010210
Book TitleJain Bharati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShadilal Jain
PublisherAdishwar Jain
Publication Year
Total Pages156
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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