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________________ अध्याय 5 भगवान महावीर के वचनामृत भगवान् महावीर का उपदेश समस्त विश्व के लिये हितकारी और शॉतिदायक है । यह त्रिकाल में सत्य है। महावीर कहते है–गौतम ! जो जानता है, वही बधनो को तोड़ता है । जीव का चरम लक्ष्य मोक्ष-प्राप्ति या मुक्ति-लाभ है । 'सच्ची श्रद्धा 'सच्चा ज्ञान' और 'सच्चा आचरण' यह त्रिवेणी ही मोक्ष-मार्ग का साधन है।" सद्ज्ञान के बिना कर्म-काण्ड, तप, जप, काय-क्लेश, देहदमन निरर्थक है, हानिकारक है । क्रियाहीन ज्ञान से लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो सकती। एक व्यक्ति सड़क पर बैठा था । वह टॉगो से विहीन था परन्तु उसके नेत्रो में तेज था। वह दूर तक वस्तुप्रो को देख सकता था। उसे मालूम था कि जिस सड़क के किनारे वह बैठा है वह उसे गतव्य स्थान की ओर ले जायेगी। उसके मन में उल्लास था, विश्वास था, साहस था निर्दिष्ट स्थान पर पहुंचने का। फिर भी उसे एक लाचारी थी क्योंकि वह टांगो से हीन था । वह किसी उपयुक्त आदमी की प्रतीक्षा कर रहा था। सहसा उधेडबुन में उसकी दृष्टि एक ऐसे व्यक्ति पर पड़ी जो सावधानी से धीरे धीरे आगे बढ़ रहा था । उसे ठीक मार्ग ढूढ निकालने की कठिनाई पड़ रही थी। उसका पांव कभी खाई में पड़ जाता तो कभी
SR No.010210
Book TitleJain Bharati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShadilal Jain
PublisherAdishwar Jain
Publication Year
Total Pages156
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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