SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 152
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५४ (3) तिरुपुरुत्तिकुनरम् या जिन-काची (काजीवरम) के प्राचीन जैन मन्दिर में सुन्दर चित्रो के कुछ अवशेष अब भी देखने को मिलते हैं। (4) श्रवणबेलगोल की जैन बस्ति के भित्ति चित्र भी अपनी शोभा लिये हुए है। सित्तनवासल के बाद जैन धर्म से सम्बद्ध चित्रकला के उदाहरण दसवी शताब्दी से लगाकर पद्रहवी शताब्दी तक मिलते है । विद्वानो का कहना है कि इस मध्यकालीन चित्रकला के अवशेषो के लिये भारत "जैन भण्डारी" है, क्योकि प्रथम तो इस काल मे प्रायः एक हजार वर्ष तक जैन धर्म का प्रभाव एक बहुत बड़े भाग में फैला हुआ था । दूसरे, जैनो ने बहुत बड़ी संख्या में धार्मिक ग्रथ ताड़पत्रो पर लिखवाये और चित्रित करवाये थे। ताड़पत्रीय चित्र (1) सब से प्राचीन चित्रित ताड़पत्र ग्रथ दक्षिण मे मैसूर राज्य मे "मूडबिद्री' तथा उत्तर मे "पाटन" (गुजरात) के जैन भन्डारो में मिले है। मडबिद्री में षटखण्डागम की ताडपत्रीय प्रतियाँ, इसके ग्रथ व चित्र दोनों दृष्टियों से बड़ी महत्वपूर्ण हैं । सन् 1113 ई. में लिखी गई एक प्रति मे पाच ताड़पत्र सचित्र है इनमें दो ताडपत्र तो पूरे चित्रो से भरे है, दो के मध्य मे लेख है, और दोनो तरफ कुछ चित्र है। इन ताड़पत्रो पर चक्र आकृति, कोणाकृतियाँ चौकोण आकृतियाँ, गोलाकतिया, पद्मासन-जिन-मूर्तिया, सात-सात साघु नाना प्रकार के आसनो व हस्तमुद्रानो सहित चित्रित है । (2) उक्त चित्रों के समकालीन पश्चिमी जैन शैली" की चित्र
SR No.010210
Book TitleJain Bharati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShadilal Jain
PublisherAdishwar Jain
Publication Year
Total Pages156
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy