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________________ १४० ये सभी मन्दिर 12वी शती की कृतियाँ हैं । 6. मूडबिद्री का चद्रनाथ मन्दिर: होयसल काल के पश्चात् विजयनगर राज्य का युग प्रारम्भ होता है, जिसमें द्राविड़ वास्तु कला का कुछ और भी विकास हुआ। इस काल की जैन कृतियों के उदाहरण गनीगिति, तिरुमल्लाइ, तिरुपरुत्ति कुण्डरम्, तिरप्पनमूर, मूडबिद्री यादि स्थानो में प्रचुरता से पाये जाते है । इनमें सब से प्रसिद्ध मूडबिद्री का चद्रनाथ मन्दिर है जिसका निर्माण 14वी शती में हुआ । यह मन्दिर एक घेरे के भीतर है । प्रागण में प्रति सुन्दर मानस्तम्भ के दर्शन होते है । मन्दिर में लगातार तीन मन्डपशालाए है - तीर्थकर मण्डप, गद्दी मण्डप व चित्र मण्डप | स्तम्भ बडे स्थूल और 12 फुट ऊंचे है जो उत्कीर्ण है । उन पर कमलदलो की खुदाई असाधारण सौष्ठव और सावधानी से की गई है । 7. जैन विहार ( पहाडपुर ) जैन विहार का सर्वप्रथम उल्लेख पहाडपुर ( जिला राजगाही - वर्तमान बगला देश) के उस ताम्रपत्र के लेख में मिलता है जिसमें पचस्तूप निकाय या कुल के निग्रंथ श्रमणाचार्य गुहनदि तथा उनके शिष्य अनुशिष्यों से अधिष्ठित बिहार मन्दिर मे श्रर्हतो की पूजा अर्चा के निमित्त अक्षयदान दिये जाने का उल्लेख है । यह गुप्त स० 159 ( ई० 472) का है । लेख में इस बिहार की स्थिति 'बटगोहाली में बताई गई है । यह विहार वही है जो पहाड़पुर की खुदाई से प्रकाश में आया है । सातवी शती के पश्चात् किसी समय इस बिहार पर बौद्धो का अधिकार हो गया और वह 'सोमपुर विहार' के नाम से प्रख्यात हुआ, किन्तु 7वी शती में चीनी यात्री 'ह्यूनसाग' पप यात्रा वर्णन मे इस बिहार का कोई उल्लेख नही किया,
SR No.010210
Book TitleJain Bharati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShadilal Jain
PublisherAdishwar Jain
Publication Year
Total Pages156
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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