SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 131
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १३० बनी हुई एक जैन गफा बढी महत्वपूर्ण है। यहां एक ब्राह्मी लिपि का लेख भी मिला है जो ई. पू. तीसरी शती का (अशोक कालीन) प्रतीत होता है। इस लेख में स्पष्ट लेख है कि गुफा का निर्माण जैनो के निमित्त कराया गया था। गुफा बड़ी विशाल 100x50 फुट है इसमें अनेक कोठरिया हैं जिनमें समाधि शिलाएँ भी बनी हुई हैं । ये शिलाएं 6'x4' है । वास्तुकला की दृष्टि से तो गुफा महत्वपूर्ण है ही किन्तु इससे भी अधिक महत्व इसकी चित्रकला का है जिसका विवरण मागे चित्रकला शीर्षक में दिया जाएगा । इस गुफा का संस्कार पल्लव नरेश महेद्रवर्मन (8वी शती ई.) के काल में हुआ। 10 दक्षिण भारत मे बादामी की जैन गुफाइसका निर्माणकाल अनुमानत: सातवी शती का मध्य मार्ग है । यह गुफा 16 फुट गहरी तथा 31X19 फुट लम्बी चौड़ी है । पीछे की ओर मध्य भाग में देवालय है, और तीनो तरफो की दीवारो मे मुनियों के निवास के लिए कोष्ठक बने हुए हैं। स्तम्मो की आकृति बम्बई की एलीफेटा की गुफाओ के समान है। यहाँ चमर धारियो सहित महावीर तीर्थंकर की मूल पद्मासन मूर्ति के अतिरिक्त दीवालो व स्तम्भों पर भी जिनमूतिया खुदी हुई हैं ऐसा माना जाता है कि राष्ट्रकूट नरेश अमोघवर्ष (8वी शती) ने राज्य त्याग कर व जैन दीक्षा लेकर इसी गुफा में निवास किया था। गुफा के बरामदो में एक अोर पार्श्वनाथ व दूसरी ओर बाहुबलि की लगभग 73 फुट ऊँची प्रतिमाएँ उत्कीर्ण हैं । 11. ऐहोल गुफाए:बादामी ताल्लुके में स्थित 'ऐहोल' नाम क ग्राम के समीप पूर्व और उत्तर की ओर ये गुफाएं हैं जिनमें जैन मूर्तियां विद्यमान हैं। बाई भित्ति में पार्श्वनाथ की मूर्ति है, जिसके एक ओर नाग और दूसरी ओर नागिन स्थित है। दाहिनी ओर चैत्य वृक्ष के नीचे जिन मूति
SR No.010210
Book TitleJain Bharati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShadilal Jain
PublisherAdishwar Jain
Publication Year
Total Pages156
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy