SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 129
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२८ ५. जूनागढ़ (काठियावाड़) यहा "बाबा प्यारा मठ' के समीप कुछ गुफाए है जो तीन पंक्तियो में स्थित है। एक इनमें "चैत्यगुफा' है । इन जैन गुफामों में एक गुफा ध्यान देने योग्य है जो द्वितीय शती ई०पू० अर्थात् "क्षत्रप राजाओ" के काल की प्रतीत होती है । इस गुफा मे जो खण्डित लेख मिला है उसमें क्षत्रप राज्यवश का तथा "चष्टन" के प्रपौत्र व 'जयदामन' के पौत्र "रुद्रसिंह प्रथम" का उल्लेख है । यह लेख न पढे जाने पर भी उसमे जो केवल ज्ञान, जरामरण से मुक्ति आदि शब्द पढे गये है, उनसे तथा गुफा में अकित स्वस्तिक, भद्रासन, मीन युगल आदि प्रख्यात जैन मागलिक चिह्नो के चित्रित होने से, वे निश्चय ही जैन साधुनो से सम्बधित है । सम्भवतया "अतिम अग ज्ञान के ज्ञाता घरसेन आचार्य" ने यहाँ निवास किया हो पौर भूतबलि और पुष्पदत को यही “षट्खण्डागम" का विशेष ज्ञानदान दिया हो। इसके समीप ही "ढंक" नामक स्थान पर दो गुफाए है। इन में ऋषभ, पाव, महावीर आदि तीर्थकरों की प्रतिमाए है । जैन साहित्य में ढक पर्वत का अनेक स्थानो पर उल्लेख पाया है। पादलिप्त सूरि के शिष्य "नागार्जुन" यही के निवासी कहे गये हैं। ६. मध्य प्रदेश में उदयगिरि की जैन गुफाएं : यह उदयगिरि इतिहास प्रसिद्ध विदिशा नगर से उत्तर पश्चिम की अोर वेतवा नदी के उस पार दो तीन मील की दूरी पर है । इस पहाड़ी पर पुरातत्व विभाग द्वारा अकित 20 गुफाए व मंदिर हैं। इन में "पहली" तथा "बीसवी, ये दो स्पष्ट रूप से जैन गुफाए है। पूर्व दिशावर्ती 20वीं गुफा में पार्श्वनाथ तीर्थकर की अति सु दर मूर्ति विराजमान है। खण्डित होने पर भी नागफरा अब भी इसकी कलाकृति को प्रकट कर रहा है। यहां एक "सस्कृत प्रद्यात्मक लेख'
SR No.010210
Book TitleJain Bharati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShadilal Jain
PublisherAdishwar Jain
Publication Year
Total Pages156
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy