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________________ अध्याय साहित्यसेवी जैनाचार्य 14(ख) (1) नेमिचन्द्र ई. 10वी-11वी शती के बीच चामुण्ड राय सेनानायक व मंत्री के आप गुरु थे । चामुण्डराय ने अपने आदेश से श्रवण बेलगोल में 57' फीट ऊंची बाहुबलि" की पाषाण प्रतिमा बनवाकर प्रतिष्ठित करवाई। आचार्य नेमिचंद्र की कृतियाँ ये है। 1. द्रव्यसंग्रह 2. गोम्मटसार 3. लब्धि सार 4. क्षपणकसार 5. त्रिलोक सार उपर्युक्त सभी ग्रंथ प्राकृत भाषा में हैं जो जीव, कर्म, कर्मक्षय, मोक्ष, तीन लोक आदि पर विवेचनात्मक प्रकाश डालते हैं। (11) प्रभाचद्र आचार्य प्रभाचद्र एक बहुश्रु त दार्शनिक विद्धान् थे । सभी दर्शनो के प्रायः सभी मौलिक ग्रंथो का उन्होने अभ्यास किया था। यह तथ्य उनके द्वारा रचित "न्यायकुमुदचद्र" और "प्रमेयकमल मातंण्ड" नामक ग्रथो के अवलोकन से स्पष्ट हो जाता है। इनका प्रथम ग्रंथ अकलंकदेव के "लधीस्त्रय" का व्याख्यान है और दूसरा आचार्य माणिक्यनंदि के “परीक्षामुख" नामक ग्रंथ का। श्रवणबेलगोल के शिलालेख नं0 40 में इन्हे "शब्दाम्भोरुह भास्कर" और "प्रथित तर्क प्रथकार" बतलाया है इन्होने शाकटायन व्याकरण पर एक विस्तृत न्यास ग्रंथ भी रचा था जिसका कुछ भाग उपलब्ध है । इनके गुरु का नाम पद्मनदि सैद्धांतिक था।
SR No.010210
Book TitleJain Bharati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShadilal Jain
PublisherAdishwar Jain
Publication Year
Total Pages156
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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