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________________ अध्याय 14(क) जैन पुराण, जैन कथा साहित्य, जैन व्याकरण (1) पुराण चरित : जिनमें पुराण पुरुषो का चरित्र वर्णन किया गया हो उसे पुराण कहते है । पुराण साहित्य मे “महापुराण" "पद्मचरित", "हरिवंशचरित' आदि ग्रथो का नाम उल्लेखनीय है । महापुराण (नवी शताब्दी ई०) जैन पुराणो मे सबसे प्राचीन है। जन पुराणो का मूल प्रतिपाद्य विषय 63 शलाका पुरुषो के चरित्र है। इनमे 14 तीर्थकर, 12 चक्रवर्ती, 9 बलदेव, 9 वासुदेव और 9 प्रतिवासुदेव है । महापुराण रचयिता जिनसेन और गुणभद्र है । महापुराण के दो भाग हैं-आदिपुराण और उत्तर पुराण । आदिपुराण के 47 अध्याय है जिनमे से 42 अध्याय जिनसेन द्वारा तथा शेष 5 गुणमद्र द्वारा रचित किये गये । उत्तर पुराण में 30 अध्याय है जो समूचे गुण भद्र द्वारा लिखे गये। महापुराण संस्कृत मे एक वीर गाथा (Epic poem) है। पद्मचरित व हरिवश पुराण जैनो की रामायण व भारत हैं। हरिवंश पुराण 'जिनसेन' द्वारा रचा गया। यह जिनमेन महापुराण के जिनसेन से भिन्न हैं। इनके सिवा चरित ग्रथो का जैन साहित्य में भण्डार भरा पड़ा है सकलकीर्ति मादि प्राचार्यों ने अपने चरित ग्रंथ रचे है । प्राचार्य जटा सिंह नदिका वरांग चरित एक सुन्दर पौराणिक
SR No.010210
Book TitleJain Bharati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShadilal Jain
PublisherAdishwar Jain
Publication Year
Total Pages156
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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