SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 30
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २८ . . . जैन भन्नन तरंगनी। लक्षमी देवी सती तुमको कहें विद्या पढो । तुम जगत की लाज हो और घर के शृंगारों में हो ॥ ४ ॥ है यही उपदेश न्यामत का जरा वहनों सुनो। रात दिन विद्या पढो पढ करके होशियारों में हो ॥ ५ ॥ - यह भजन सुपुत्री कलावती के कहने पर हिसार में बनाया गया था और उसने तीजों के दिन अपनी सहेलियों के साथ मिलकर गाया था। चाल--अम्मा मुझे दिल्ली को दोपी मंगा दे। अम्मा मुझे रेशम का झूला गिरा दे। झूला गिरा दे हंडोला गड़ा दे। . मोतिया चबेली के हार बनवा दे ।। टेक ।। टीका लगादे मेहंदी रचादे ।। हाथों में नई नई चुरियां पहनादे ॥१॥ रेशम की साड़ी धानी रंगादे॥ कसंबी सुनेहरी मलागीरी रंगादे ।।२।। लाल आसमानी काफूरी रंगादे॥ बसन्ती गुलाबी गुलेनारी रंगादे.॥३॥ गोटालगादे किनारी लगादे ॥ ओरे धोरे सल्मेसितारे टकादे ॥ ४॥ . रेशमका फीता बेल लगवादे ॥ बिचं चांदी सोने तार खचवादे ॥ ५॥ ..
SR No.010209
Book TitleJain Bhajan Tarangani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNyamatsinh Jaini
PublisherNyamatsinh Jaini
Publication Year
Total Pages39
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy