SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 56
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 3 w - - w R am- - - % a m - ma a - - Am man - - -- - s - am (५२) गणधर पदवी पाय । गौत्तम ॥२॥ मानस्थम्भ लखमान पलाया। चारों ज्ञान उपाय | गौचम० ॥३॥ जा बाणी से श्रेणक सुलझा। सोही हमें बतलाय । गौत्तम० ॥ ४॥ न्यामत सुनियो श्रीजिन वाणी। सूधा शिवपुर जाय ॥ गौत्तम० ॥ ५ ।। ७७ तर्ज ॥ चलोरी सखी दर्शन करिये रथचड़ जादुनंदन पावत हैं ॥ (कोशिया) चलोरी सखी मिथलापुरमें सब सखी मिल मंगल गावत हैं । चलो० ॥ टेक।। श्रीमलनाथ जिन जन्म लिया। तिहूं लोक करत उच्छावत हैं। चलो० ॥ १ ॥ कम्पित सुर आसन सुकटनों। धनपति सज गज चढ़ आवत हैं ।। चलो० ॥ २ ॥ सब सुरनर जय जय शब्द करें। इन्दर चमर दुरावत हैं। चलो० ॥३॥ क्षीरोदधि सुर मिल भरलाए। सौधर्म अस्नान करावत हैं ॥ चलो० ॥४ न्यामत जिनराज को दर्शन। सब मन वाँच्छित फल पावत हैं। चलो० ॥ ५ ॥ - - 3 - - - - - - - -- - 3333333D - - - - - -
SR No.010208
Book TitleJain Bhajan Shataka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNyamatsinh Jaini
PublisherNyamatsinh Jaini
Publication Year
Total Pages77
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy