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________________ HD - - - -- % 3D सूके सरवर पे नर नारी पशु भट गीर नहीं जाते॥२॥ .. ऐमी प्रीत लखो घरकों की सब स्वास्थ के साथी हैं। अरे ना काहू का मात पिता और ना कोई यार संगाती है ॥३॥ ऐसा जान श्रद्धान करा समता अपने मनमें लावो ॥ रागद्वेष तजदे न्यामत जो भवसागर तिरना चाहो ॥ ४ ॥ - । तर्ज ॥ कदल मत करना मुझे तेनो तबर से देखना ॥ जबसे जिनमत को तजा हिंसक जमाना होगया। सबके दिलसे भाव का करुणा रवाना होगया ॥ टेक ॥ झूठ चोरी और जिनाकारी गई हदसे गुजर। ... पाप करते आप कलयुग का बहाना होगया ॥ १॥ जीव हिंसा जिसमें है उसको कलाम ईश्वर कहें। . .... हाय भारत आज कल बिलकुल दिवाना होगया॥ २॥..... याद रखिये जीव हिंसासे नहीं होगी निजात। .. लाखों को हिंसा से है नकॉमें जाना होगया ॥३॥ . इक दया से दूसरे भी आपके हो जायंगे। . . . देखलो हिंसा से यह भारत बिगाना होगया ॥ ४॥ . भाई से भाई लड़ें हरगिज दया आती नहीं। ... .. . . फूटका दिलमें तुम्हारे क्यों ठिकाना हो गया ॥ ५॥ . . न्यायमत अब तो दया का भाव दिलमें कीजिये । . . . .'. हिंसा करते करते तो तुमको जमाना होगया ॥६॥ ॥ इति तृतीय बाटिका समाप्तम् ॥ .. - - - न
SR No.010208
Book TitleJain Bhajan Shataka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNyamatsinh Jaini
PublisherNyamatsinh Jaini
Publication Year
Total Pages77
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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