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________________ १ एक काय किण में पावे ? साधु में-वसकाय । २ दोय काय किण में पावे ? बैक्र य शरीर में__ वाउकाय, वसकाय। ३ तीन काय किम में पावे? तेजूलेथ्या में एकेन्द्रौ, पृथ्वी, मानी, बनास्पति में। ४ चार काय किण में पोवे ? तेजूलेण्या में मावे (तेज, वाऊ टलो)। ५ पांच काय किस में पावे ? एकेन्द्री में पावे (नस टली)। ६ छव काय किण में पावे ? समचे जीव मे। ४ चौथे बोले इन्द्री पांच ५ १ एक इन्द्री किच्छ में पावे ? पृश्वीकाय में-रूपर्श । २ दोय इन्द्री किण में पावे ? लट, गिंडोला में- रस, स्पर्श ३ तीन बून्द्री किण में पावे ? कौड़ी, मक्कोड़ा में प्रागा, रस, स्प। ४ चार इन्द्री किण में पावे ? माखी, मच्छर में (श्रोतेन्द्री टली)। ५ पांच इन्द्री किण में पावे ? समचे जीव में । पांचवें बोले प्रर्याय छव ६१ एक प्रर्याय किण में पावे ? शरीर प्रर्यायरे अल
SR No.010206
Book TitleJain Bhajan Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFatehchand Chauthmal Karamchand Bothra Kolkatta
PublisherFatehchand Chauthmal Karamchand Bothra
Publication Year
Total Pages193
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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