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________________ ( १५० ) २४ पांच चारित्र श्रावक में पावै कै नहीं, नहीं पावै, एक देश चारित्र पावै। १ एकेन्द्री की गति काई-तियेच गति। २ एकन्द्री को जाति काई-एकोन्द्री । ३ एकेन्द्री में कोया किसी पावै पांच थावरको । ४ एकेन्द्रीमें इन्द्रियां कितनी पावै–एक स्पर्श इन्द्री। ५ एकेन्द्री में पर्याय कितनी पावै–४च्यार मन भाषा एदोय टली। ६ एकेन्द्री में प्राण कितना पावै ४-च्यार पावै स्पर्श इन्द्रीय वलप्राण १ कायबलप्राण २ श्वासोश्वासबलप्राण ३ आयुषोबलप्राण ४ ७ सूरड माटो मुलतानी पत्थर सोनो चांदी रत___ नादिक पृथ्वौकाय का प्रश्नोत्तर। प्रश्न उत्तर गति कांई जाति कोई काय किसी इन्द्रियां कितनी पाव पर्याय कितनी पावै तिर्यंच गति एकेन्द्री पृथ्वीकाय एक स्पर्श इन्द्री ४ च्यार, मन भाषा टली.
SR No.010206
Book TitleJain Bhajan Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFatehchand Chauthmal Karamchand Bothra Kolkatta
PublisherFatehchand Chauthmal Karamchand Bothra
Publication Year
Total Pages193
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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