SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 52
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३७ धारणी राणौ गर्भनी अनुकम्पा आणी मन गमता अशनादिक खाया। (शाता अ०१) ३८ अभयकुमार नो अनुकम्पा आणी देवता मेह बरसायो। (शाता अ०१) ३८ जिन ऋषि करुणा आणौ रयणा देवी रे साहमो जोयो। (शाता अ०६) ४० प्रथम प्रास्रव हार ने करुणा रहित कह्यो । (प्रश्न व्याकरण य०१) ४१ करुणा सहित जिन ऋषि ने रयगा देवी दया रहित परिगामे करि हण्यो। (शाता अ०६) ४२ सूर्याभ देवतारी नाटक रूप भक्ति कही। (राय प्रसेणी) ४३ यने छात्रों ने अंधा पाडया ते हरियोशीनी व्यावच कही। (उत्तराध्ययन अ०२२ गा० ३२.) ४४ भगवान शीतल तेज लधि कगै गोशाले ने बचायो ___ तिहां 'अणुकम्पशट्टाए' पाठ करो। (भगवती ग १५)
SR No.010204
Book TitleJain Bhajan Mala
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages89
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy