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________________ पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध शुद्ध ८५ १३ की वात ८६ २३ ओर ८७ 20 2023 202 ε२ ८ लोकाशाह लोकाशाह की १६ पूरी पक्ति १ गरग १ चरित्र २ कयन की ९३ १९ माटी और ६६ २२ था १०१६ से १०१ ६ सघ गरण से चारित्र कथन को मोटी L २ हठमतवाला २६ २७ ही ६७ १३ रहते ९७ १७ से हठवाला के रहता के संग ( १७२ ) पृष्ठ पंक्ति श्रशुद्ध १०२ १०५ ५ एव १०५ १६ वद्धमान १०७ २६ ता १०७ २६ लना १९३ २४ श्रवरण सघ ११६ ८ आकाशावर १९८ २० समह १९८ २१ माने ११८ २१ गुरण न माने १२० १४ लचन्द्र १२१ ३ रत्नचन्द्रजी १२१ ४ पं ६ सौभायमलजी ६ वैययन्ती ४ सरना १०१ २५ जोवराजजी, मोतीलाल जी, जोधराजजी मुनि मुनि मोती लालजी शुद्ध सरल एवं वर्द्धमान तो लेना श्रमण संघ आगाम्वर समूह अपने गुरणकर माने रत्नचन्द्र पूज्य रत्नचन्द्रजी पट्टधर सौभाग्यमल जी वैजयन्ती तीसरे १२१ १२२ १४२ ८ तास १४३ २ घमाद्वारक धर्मोद्वारक १४५ २१ छगनलाल जी सहममल जी
SR No.010198
Book TitleJain Acharya Charitavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj, Gajsingh Rathod
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year1971
Total Pages193
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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