SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 158
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्राचार्य चरितावली प्राचार्य परम्परा (क) विभाग की १. पूज्य श्री मूलचन्द जी स्वामी २. ॥ पचाण जी , ३. , रतन जी , , डू गरशी स्वामी । (ख) विभाग में अभी कोई साधु नही है । ३ बरवाला संघाड़ा प० श्री बनारसी जी स्वामी के शिष्य श्री कान जी स्वामी वरवाला गाव पधारे । तव वरवाला समुदाय की स्थापना हुई। प्राचार्य परम्परा १. पूज्य श्री धर्मदास जी महाराज मूलचन्दजी , , वनाजी , पुरुपोत्तमजी वनारसी जी कानजो रामरखा जी , , चुन्नीलालजी , , कविवर्य श्री उम्मेदचन्द जी महा० १० ,, मोहनलालजी महा० विद्यमान है । 2oMo is ai बनारसी जी महा० के शिष्य जैसिहजी और उदेसिहजी स्वामी के चुडा नामक ग्राम में जाने से एक चुडा समुदाय (सघाड़ा) की भी स्थापना हुई, परन्तु अभी साधु न होने से वह सघाड़ा वन्द है।
SR No.010198
Book TitleJain Acharya Charitavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj, Gajsingh Rathod
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year1971
Total Pages193
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy