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________________ --श्राचार्य-चरितावली १४६ की समुदाय से, समयः पाकर कई शाखा-उपशाखाए निकल पड़ी जिनमे वर्तमान ६ उपशाखाएं निम्न प्रकार है :--: .. . पूज्य मूलचंद जी महाराज के सात शिप्य हुए जिनमेसे ६ के समुदाय विद्यमान है, जो . १. लोमड़ी २. गोडल ३. वरवाला ४. वोटाद ५ सायला, और ६. कच्छ समुदाय के नाम से प्रसिद्ध है। इनमें लीमडी, गोडल और कच्छ की समुदाये मोटी पक्ष तथा नानी पक्ष के रूप मे दो भागो मे वटी हुई है। उन तीनो को वढा देने पर ये है शाखा-उपशाखाएं हो जाती है। ...! .., . , , , .. प्रत्येक की पट्टावली 5,771 - 3 (१) लोमड़ी समुदाय की प्राचार्य परम्परा - १. पूज्य श्री धर्मदास जी महाराज ... ,२. मूलचन्दजी " : -- - - . , पचांगजी , , इच्छा जी... - (इनसे लीमडी समुदाय चला) ,, हीराजी स्वामी (स० १८३३ मे आचार्य पद) , नान कानजी महाराज (सं० १८४१ मे आचार्य पद) , अजरामरजी , (सं० १८४५ मे आचार्य पद) , . ., देवराजजी , , . . , गुलाबचन्द जी महाराज । . . , .. । (१) पूज्य इच्छा जी महाराज - के लीमडी विराजने से यह ली मड़ी समुदाय कहलाने लगा . . . . , . , .. : <ay 'G ___
SR No.010198
Book TitleJain Acharya Charitavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj, Gajsingh Rathod
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year1971
Total Pages193
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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