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________________ १३४ आचार्य चरितावली (६) मुनि श्री रगलालजी म. (१०) प्रर्वत्तक श्री फतेहलाल जी म. तथा श्री छगनलालजी म० । वर्तमान मे मुनि कन्हैयालालजी आदि विद्यमान है। पूज्य श्री शीतलदास जी महाराज सं० १७६३ मे पूज्य श्री लालचन्द्र जी म० के पास आपने आगरा मे दीक्षा ग्रहण की। आप रेणी ग्राम निवासी अग्रवाल वशज महेश जी के सुपुत्र थे । १७४७ में आपका जन्म हुआ। ७४ वर्ष तक सयम पालन कर स० १८३६ पौप सुदी १२ को समाधिपूर्वक देह त्याग किया। शाखा ४ और उसकी प्राचार्य परम्परा (१) पूज्य श्री जीवराजजी म० (२) , धनाजी म. (३) , लालचन्दजी म० , शीतलदास जी म० (जिनके नाम से वर्तमान मे सम्प्रदाय चलती है) (५) पूज्य श्री देवीचदजी म० (६) मुनि श्री हीराचन्द जी म० (७) , लक्ष्मीचन्दजी म० (८) , भैरूंदासजी म. (६) , उदयचन्दजी म० (१०) मुनि श्री पन्नालालजी म० (११) , नेमीचंदजी म० (१२) , वेणीचद जी म० आप बड़े उग्र तपस्वी थे, आपने वर्षो तक केवल छाछ पर ही निर्वाह किया) (१३) पूज्य श्री परताप चन्द जी म० (१४) , कजोडी मलजी म०, श्री छोगालाल जी म० । मोहन मुनि अभी विद्यमान हैं।
SR No.010198
Book TitleJain Acharya Charitavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj, Gajsingh Rathod
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year1971
Total Pages193
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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