SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 236
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २२२ : जैन आचार ११७ ११७ १७४ . ११७. ११७ मनिवृत्ति-बादर-गुणस्थान ३६ अपुनरावृत्ति-स्थान मनिवृत्ति-बादर-सपराय ३६ अपूर्वकरण अनिष्ट-सयोग १११ अपेक्षावाद अनिसृष्ट १७३ अप्रतिलेखित-दुष्प्रतिलेखित अनीश्वरवाद १५ उच्चारप्रस्त्रवणभूमि अनुकंपा ६२ अप्रतिलेखित-दुष्प्रतिलेखित मनुप्रेक्षा १९,७८,१८६ शय्यासस्तारक अप्रमत्त-संयत मनुभाग-वध १७ अप्रमाण अनुमतित्याग ७५, १३० अप्रमाणित-दुष्प्रमाणित . अनेकांतवाद ८, २३ उच्चारप्रस्त्रवणभूमि अन्नपाननिरोध अप्रमार्जित-दुष्प्रमाणित अन्निकापुत्र शय्यासस्तारक अन्यत्व अवहुवादी अन्योन्यक्रिया ५७ अवाघाकाल अपक्वाहार १०७ अभिषेका अपध्यानाचरण अभिहत अपराजितसूरि ७३ अत्यान अपरिगृहीता-गमन ९९ अभावकाश अपरिग्रह १३, २१ अमृपावाद अपरिग्रहवाद अमैथुन अपरिग्रह्मत १४१ बयोगि-केवली परिणत १७४ अरहा सपवाद २१० अपश्चिम-मारणान्तिक अरिष्टनेमि गल्लेगना १२० नलावू ७२ २०७ १११ १५
SR No.010197
Book TitleJain Achar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Mehta
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1966
Total Pages257
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy