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________________ ( २०४ ) होता है । सो १ प्रथम निद्रा प्रमाद, सो वे मर्यादा वखत बे वखत सो रहना यथा निद्रा ४ प्रकार की है ॥ १ स्वल्प निद्रा । २ सामान्य निद्रा ।३.. विशेष निद्रा । ४ महा निद्रा ॥ - १ स्वल्प निद्रा । सो ७ पहर जागना और १ पहर सोना तिस को उत्तम पुरुष कहते हैं । और दूसरे सामान्य निद्रा सो ५ पहर जागना और ३ पहर सोना तिस को मध्यम पुरुष कहते हैं। और तीसरे विशेष निद्रा सो ४ पहर जागनाऔर ४ पहर सोना तिस को जघन्य नर अर्थात् नीच नर कहते हैं । और महा निद्रा सो तीन पहर जागना और ५ पहर सोना तिस को अधम नर कहते हैं, परन्तु रोगादि कारण की बात न्यारी
SR No.010192
Book TitleGyandipika arthat Jaindyot
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParvati Sati
PublisherMaherchand Lakshmandas
Publication Year1907
Total Pages353
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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