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________________ विषय पृष्ट ७ सातवां १२ वारह व्रत अङ्ग तिस में श्रावक अर्थात् जो ज्ञानवान् गृहस्थी होय तिस के मर्यादा रूप १२ व्रत का अतिचार सहित बहुत अच्छा भिन्न २ स्वरूप है तिस में १ प्रथम अनुव्रत जो त्रस्य जीव की हिंसा न करने की विधि .... .... १४९ २ दूसरा अनुव्रत जो मोटा झूठ त्याग रूप १५२ ३ तीसरा अनुव्रत जो मोटी चोरी त्याग रूप १५४ ४ चौथा अनुव्रत जो पर स्त्री और पर पुरुष त्याग रूप मानो कामांकुश रूप है.... १५५ ५ पांचवां अनुव्रत जो प्रग्रह अर्थात् धन की ममता की मर्यादा रूप ..... .... १५८ ६ प्रथम गुणव्रत सो दिशा की मर्यादा रूप १५९ ७ वां, द्वितीय गुणव्रत सो खाने पीने और पहरने के पदार्थ योग्य अयोग्य की मर्यादा करने की विधि .... .... १६१ १५ पन्द्रह कर्मादान का यथार्थ भिन्न २ स्वरूप
SR No.010192
Book TitleGyandipika arthat Jaindyot
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParvati Sati
PublisherMaherchand Lakshmandas
Publication Year1907
Total Pages353
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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