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________________ Liar ( १७९ ) मारा है उनको राध, लोहु संयुक्त कीड़ों के कुण्ड में गेर देते हैं || ८ || और जिन्हों ने मांस भक्षण किया है, उनको उन्हीं का अंग तोड़ २ कर अग्नि में शूलाओं द्वारा पका कर खिलाते हैं || ९ || और जिन्होंने कामाधीन होकर बेसबरी से पर स्त्री गमन वा पर पुरुष से गमन किया है उन को गर्म किये हुए लोहे के पुतली वा पुतलों से चिपटा देते हैं ॥ १० ॥ और ऐसी २ अनेक बेदनायें नर्क में होती हैं । द्वितीय तिरश्रीन ( तिर्यंच) गति में जाने के ४ चार लक्षण कहे हैं । सो प्रथम माया लिये अर्थात् दगा बाजी करने वाले ||२|| द्वितीय बहुमाया लिये अर्थात् भेष धार के साधु कहा के कनक (धन) कामनी (स्त्री) का संग्रह करने वाले -
SR No.010192
Book TitleGyandipika arthat Jaindyot
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParvati Sati
PublisherMaherchand Lakshmandas
Publication Year1907
Total Pages353
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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