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________________ ( २ ) विषय प्रष्ट ५२ करने में और भगवान की दृष्टि के सामने . रहने में बहुत हानि लिखी है तिस का खण्डन ..... .... .... कृष्ण वासुदेव ने एकादशी पर्व की पोसा किया और अनन्त मिस्सिरा प्रत्येक मिस्सिराका अर्थ और व कुसुनि यहां मूलोत्तर गुण पड़ि सवी इस का सूत्रानुसार खण्डन मूत्ति पूजने के लाभ के प्रश्नोत्तरों का खण्डन साधु चित्राम की पुतली न देखे इस का उत्तर जिस में उदय भाव और क्षयोपशम भाव का स्वरूप, २ और मूर्ति के देखने से ज्ञान होवे किं वा न होवे इस का खण्डन ३ दृष्टान्त सहित .... .... सिद्ध से न दिवाकर साधु ने विक्रम राजा को __ उपदेश किया कि चतुद्वार जैन मन्दिर , बनवाओ और जिन पडिमा जिन सारखी इस का खण्डन जिस में २५ बोल.... ५५ - ६५
SR No.010192
Book TitleGyandipika arthat Jaindyot
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParvati Sati
PublisherMaherchand Lakshmandas
Publication Year1907
Total Pages353
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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