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________________ ( ११० ) - कारण है यथा अग्नि में ईंधन ( काठ) का गेरना अनि बधाने का कारण है ॥ । (९) नोंमी वाड़ ब्रह्मचर्य का शीलवान पुरुष श्रृंगार चटके मटके करै नहीं क्योंकि काम की तर्फ चित्तको खेंचने का कारण है यथा सफेद चमकदार वस्त्रके खंड याने चिट्टी | लीर में ठीकरी बांधके फेंकदे तो जो देखे सो लोभके कारण उठा लेवे और मैले वस्त्र में यदि मोहर (असर्फी) भी बांधके फेंकदे तो | भी किसी को लोभ जागे नहीं याने उठावै | नहीं इत्यर्थः अपितु इस यत्न से ब्रह्मचर्य रत्न रह सक्ता है। और ऐसे ही साध्वी को पुरुष के पक्ष में जा|नना और शांति मुत्ती आदिक १० दस प्रकार के यति धर्म के धर्ता जहा ठाणांगे तथा
SR No.010192
Book TitleGyandipika arthat Jaindyot
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParvati Sati
PublisherMaherchand Lakshmandas
Publication Year1907
Total Pages353
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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