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________________ दिगम्बर जैन साधु ब्र० धर्मचन्दजी शास्त्री [ ६११ ASSETTE । . . स. शारीरिक प्राकार प्रकार से विद्यार्थी सदृश व स्वभावतः मक्खन से मृदु और बालमन से सरल सौम्य श्री बाल ब्रह्मचारी धर्मचन्द्र शास्त्री का जन्म १३ दिसम्बर १९५१ सं० २००८ को सागर ( M. P.) जिले में महका नामक ग्राम में हुआ था। आपके पिता श्री अयोध्याप्रसादजी जैन धर्मनिष्ठ प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। ६ वर्ष की आयु में आपके पिता का वियोग हो गया। शिक्षा:-प्रारम्भिक शिक्षा, टडा गोद चले जाने से वहां पर १० वीं कक्षा तक हुई। प्राचार्य संघ में रहकर शास्त्री एवं आचार्य आदि की परीक्षाएं दीं। ज्योतिषाचार्य, आयुर्वेदाचार्य, संहिता सूरि आदि की भी परीक्षा दी। त्याग भावना एवं संयमित जीवन-होनहार विरवान के होत चीकने पात वाली कहावत के अनुसार प्राप गुरु भक्ति करना अपना परम कर्तव्य समझते हैं। १६ वर्ष की उम्र में सन् १९६९ जयपुर में आप आचार्य श्री धर्मसागरजी महाराज के चरणों में आकर साधु सेवा एवं वैयावृत्त करने लगे तथा धार्मिक अध्ययन शुरु किया। गुरु महाराज के आशीर्वाद से अपने ज्ञान का विकास किया। ब्रह्मचर्य दीक्षा:-सन् १९६६ में प्राचार्य श्री धर्मसागरजी महाराज से जयपुर में आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत धारण किया। - तीर्थ यात्रा:-पू० मासोपवामी मुनि श्री सुपार्श्वसागरजी महाराज की, सम्मेदशिखरजी की यात्रा में संघके साथ पैदल चले। जयपुर से शिखरजी एवं जयपुर से श्रवणवेलगोला एवं बुन्देलखंड की यात्रा की। मुनि श्री दयासागरजी महाराज को ससंघ बुन्देलखंड की सम्पूर्ण यात्रा कराई तथा सिद्धवरकूट, ऊन, बावनगजा, पावागढ़,' तारंगाजी आदि की वंदना कराई संघ में ७ मुनि ५ माताजी २क्षल्लकजी थे।
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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