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________________ ४८८ ] दिगम्बर जैन साधु. वी० संवत् २५०१ विक्रम सं०.२०३२ श्रावण सुदी ७ के दिन ईडर में मुनि वर्धमानसागरजी के समाधि के उपलक्ष में जीवन पर्यन्त हेतु त्याग किया वीर सं० २५०१ विक्रम सं० २०३२ भादवा वदी २ शनिवार दिनांक २३-८-१९७५ ईडर में मुनि श्री संभवसागरजी के समाधि के उपलक्ष में १२ साल की समाधि का व्रत लिया । इसलिये उनने तारीख २३-८-१९८७ तक इस शरीर को छोड़ने का व्रत लिया है। F . SEAR. D . . ictiiiiindia मुनि श्री श्रुतसागरजी महाराज जन्म तिथिजन्म ग्राम–मेद्दीपुरा ( जिला आगरा) जन्म नाम-विद्याराम पिता का नाम-सावलदासजी माता का नाम-नेक श्रीजी भाई-बहन-जगराम, मूलचन्द, फूलचन्द, भगवती देवी विद्याराम (मुनि श्रुतसागरजी) रामदयाल (दयासागरजी)। शिक्षा-४ तक व्यापार–ची विवाह-२४ वर्ष की आयु में श्रीपालजी की पुत्री रामदुलारी अम्बा जीता मोरेना ३२ वर्ष की आयु में रामदुलारी का स्वर्गवास दूसरा विवाह शांतिबाई जो एक वर्ष बाद . स्वर्गवासी हो गयीं। वैराग्य-बचपन से वैराग्य दशलाक्षरी, रतनलाल व्रत १३ वर्ष तक किया तथा ४३ वर्ष की आयु तक ब्रह्मचर्य आचार्य सुमतिसागरजी से। क्षुल्लक-१९६६-२६ नवम्बर अगहन बदी २०२६ नाम विद्यासागर । मुनि-२६-२-१९७२ शनिवार फाल्गुन सुदी १२ सं० २०२६ सम्मेदशिखर श्रुतसागर नाम रखा। वर्षायोग-१० भागलपुर, ११ शिखरजी, १२. भागलपुर, १३. सोनागिरि, १४. जलेसवर (जिलारोटा ) मुवाला मुजफ्फरनगर । DANCE
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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