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________________ दिगम्बर जैन साधु [ ४६३ मुनि श्री गौतमसागरजी महाराज सन् १९४० में नागपुर महाराष्ट्र में जन्म लिया था। आपके पिताजी का नाम श्री छगनलालजी पहाड़िया था । आपने सामान्य शिक्षा प्राप्त करने के बाद काटोल महाराष्ट्र में व्यापार किया। • आपका पूर्ण नाम नेमीचन्दजी था। सन् १९८१ नागपुर में क्षुल्लक दीक्षा ली। मुनि दीक्षा १९८२ दाहोद में ली । आपका नाम आचार्य श्री ने गौतमसागर रखा। मुनि श्री रयरणसागरजी महाराज सं० १९६७ में सरां (खण्डवा ) में जन्म लिया था। आपकी शिक्षा मैट्रिक तक इन्दौर में हुई । युवा अवस्था में आने के बाद सामान्य धन्धा करने लगे। तारीख १४-४-८२ को बावनगजा बड़वानी में आपने मुनि श्री से मुनि दीक्षा ली। आप भरा पूरा परिवार छोड़कर आत्म कल्याण के पथ में लगे हुए हैं। वर्तमान में आप आचार्य श्री के साथ ही हैं तथा आत्म साधना कर . रहे हैं। मुनि श्री तीर्थसागरजी महाराज आपका जन्म अलवर जिला राजस्थान में सन् १९५१ में हुआ । आपके पिताजी का नाम श्री बाबूलालजी व माताजी का नाम श्रीमती दुलारीबाई है । आपके ६ भाई एवं ३ बहिनें हैं । आपके पिताजी १५ साल से मुनि सेवा में रत हैं व धार्मिक प्रवृत्ति के हैं । आपकी भावना एकदम वैराग्य की ओर जाग्रत हुई और थोड़े ही समय में आचार्य श्री विमलसागरजी के साथ रहकर आपने क्रमशः दूसरी, पांचवीं व सांतवी प्रतिमा धारण की व धार्मिक ग्रन्थों का अध्ययन किया। सावन सुदी ह तारीख २-८-७६ को सोनागिरीजी में चन्द्रप्रभु प्रांगण में आचार्य श्री विमलसागरजी से क्षुल्लक दीक्षा ली । आप बड़े शान्तचित्त व मृदुभाषी हैं। आपका अधिकतर समय धार्मिक ग्रन्थों का अध्ययन करने में व्यतीत होता है । बड़वानी में आपने मुनि दीक्षा आ० सन्मतिसागरजी से ले ली।
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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