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________________ दिगम्बर जैन साधु मुनि श्री अजितसागरजी महाराज नसलापुर ग्राम के किसान परिवार में १८८५ में जन्म हुआ । पिता का नाम नेमाधा माता नाम सीताबाई | इनका पुत्र तारया लड़कपन में खेत का काम किया । युवावस्था में शान्तिसागर अनाथाश्रम शेडवाल ( बेलगांव ) में रहकर कुछ अध्ययन किया। फिर आचार्य शान्तिसागरजी महाराज का प्रवचन सुनकर वैराग्य वृत्ति में दृढ़ हो गए । घर में मां बाप जिनधर्म पालन करने वाले थे । वैराग्य वृत्ति बढ़ती गई। फिर चिक्कोडी जिला बेलगांव में मुनि श्री आदिसागरजी महाराज के करकमलों द्वारा क्षुल्लक दीक्षा अंगीकार की । फिर परम पूज्य श्री १०८ वृषभसागरजी महाराज के करकमलों द्वारा महांतपुर गांव में मुनि दीक्षा ग्रहण की। अब तक ध्यान स्वाध्याय आदि करते हुए गांव गांव में उपदेश सुनाते हुए भ्रमरण कर रहे हैं और भव्यजीवों को धर्मोपदेश दे रहे हैं । } मुनि श्री श्रुतसागरजी महाराज [ ४५७ आपका जन्म हासूर में श्रेष्ठी श्री ब्र० बन्नाप्पा के यहां हुआ । माता का नाम श्रीमति रुक्मिणीदेवी था । आपके पिता व्यापार किया करते थे । आपके मन में संसार के प्रति वैराग्य आया तथा मुनि आदिसागरजी महाराज से वी० सं० २४९७ माघ कृष्णा ε को चिक्कोड़ी में मुनि दीक्षा लेकर भ० आदिनाथ के बतलाए हुए मार्ग पर चल रहे हैं । आपका पूर्व नाम व्र० बाबूराव मारणगांव था । आर्यिका स्वर्णमति माताजी आपका पूर्व नाम सोनाबाई था। आपके पिता का नाम श्री साक्काप्पा तथा मो का नाम श्रीमति सत्यवती था । आपने शैव लिंगायत जाति वैश्य कुल में जन्म लिया था । बीजापुर जिला में सरगुप्पी कर्नाटक के रहने वाली थी । छोटी उम्र में आपके विचार धर्म के प्रति थे । १८ वर्ष की
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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