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________________ [३७] वर्तमान समय में इस वर्ष वि० सं० २०४२ का वर्षायोग परम पूज्य आचार्य शिरोमणि प्रातः स्मरणीय १०८ श्राचार्य श्री धर्मसागरजी महाराज के विशाल संघ का ( जिसमें १२ मुनिराज और १८ आर्यिका माताजी हैं) श्री दि० जैन अतिशय क्षेत्र लूरगवां में होरहा है। आपका सपरिवार पूरा २ सहयोग है – आहार दानादि देकर महान पुण्य वंध कर रहे हैं। श्रेष्ठिवर श्री पूनमचन्दजी सा० को समाज की ओर से दानवीर, समाजरत्न, गुरु भक्त आदि पदों से अलंकृत किया है । श्रापने सपत्नीक पर्यूषण पर्व के दश लक्षरण उपवासोपव्रत उद्यापन के पुण्य अवसर पर शास्त्र दान स्वरूप इस साधु परिचय ग्रंथ का प्रकाशन कराया है । हम आपके दीर्घायु सुखी श्रीर धार्मिक जीवन की मंगल कामना करते हैं । ब्र० धर्मचन्द्र शास्त्री ज्योतिषाचार्य
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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