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________________ ४१४ ] दिगम्बर जैन साधु मुनिश्री देवेन्द्रकीर्तिजी महाराज * आपका जन्म दक्षिण प्रान्त के धामना ग्राम में हुवा था आपके पिता का नाम श्री वासप्पा तथा माता का नाम मुगलादेवी था | आपका परिवार धार्मिक वृत्ति का था । आपने मुनि जयकीर्तिजी से क्षुल्लक दीक्षा ली। आपका पूर्व नाम देवेन्द्रकुमार था । पू० मुनि श्री ने आपका मुनि अवस्था का नाम भी देवेन्द्रकीर्ति ही रखा था । आपका तप व त्याग सराहनीय था । मुनिश्री कुलभूषणजी महाराज आपका जन्म सोमवंशीय हरवरहही तह० बैलहोंगल जि० बेलगांव कर्नाटक राज्य में हुवा था । यक्ताप्पा पिता का नाम था माता का नाम गंगदेवी था । सं० १९७० में आपका जन्म हुवा था । श्रापका नाम जिन्नाप्पा रखा था । बाल्यकाल में आपके. ग्राम में आचार्य पायसागरजी महाराज एवं जयकीर्ति मुनिराज का दो माह प्रवास रहा तबसे आप साधुओं के सम्पर्क में आये तथा पू० मुनि श्री के प्रवचन सुनकर श्रापके मन में वैराग्य के अंकुर निकल पड़े तथा परिवार वालों ने रोका पर आप रुके नहीं । आपने आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत स्वीकार किया । वि० सं० १९९३ माघ शु० ९ शुक्रवार को व्र० जिन्नाप्पा ने मुनि जयकीर्तिजी से क्षु० दीक्षा ली । वि० सं० १९६४ में जयकीर्तिजी महाराज से ऐलक दीक्षा ली । आप अपने व्रनों का निरतिचार पूर्वक पालन करते थे । स्तवन निधी क्षेत्र पर आपने मुनि दीक्षा ली । आपने १५ मन्दिरों का निर्माण कार्य कराया तथा जैन धर्म की प्रभावना करने में संलग्न हैं । आपने अनेकों ग्रन्थों का सम्पादन कार्य किया है समयसार, प्रवचनसार आदि आध्यात्मिक ग्रन्थों पर आपका प्रभुत्व है । 1
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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