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________________ दिगम्बर जैन साधु [ ३७३ मुनिश्री सम्भवसागरजी महाराज आपका जन्म रेमजा (आगरा) निवासी श्री पन्नालालजी एवं माता श्री दुर्गाबाईजी जाति पद्मावती पोरवाल के घर में श्रावण शुक्ला ३ रविवार सं० १९४६ में हुआ। आपने ब्र० शांतिकुमार के नाम से मिर्जापुर में ब्रह्मचर्य व्रत ग्रहण किया ।कामा भरतपुरमें माघशुक्ला १३ सं० २०१५को क्षु० दीक्षा ग्रहण की तथा श्री आदिसागरजी के नाम से विख्यात हुए । श्री सम्मेदशिखरजी में कार्तिक शुक्ला १२ सं० २०१६ को प्राचार्य श्री विमलसागरजी से मुनि दीक्षा ग्रहण की और श्री सम्भवसागरजी का नाम धारण किया। आप प्राचार्य श्री के गृहस्थावस्था के बुआ के लड़के हैं तथा बाल ब्रह्मचारी हैं, आप सघ के वयोवृद्ध शान्त परिणामी तपस्वी साधु हैं । मुनिश्री भरतसागरजी महाराज आप पिता श्री किशनलालजी एवं माता श्री गुलाबबाईजी के पुत्र हैं। आपका जन्म सं० २००६ चैत्र शुक्ला ९ गुरुवार को पु० नक्षत्र में हुआ। आपका जन्म स्थान जोहरिया ( बांसवाड़ा) है । आप दशा नरसिंहपुरा जाति के हैं । दूसरी प्रतिमा चैत्र शुक्ला २ सं० २०२५ में भवानीमन्डी में ली तथा क्षुल्लक दीक्षा सं० २०२५ जेठ बदी ४ को अजमेर में ली। श्री सम्मेदशिखरजी में सं० २०२६ कार्तिक शुक्ला १ सोमवार दिनांक ३-११-७२ वीर सं० २४६६ में आचार्य श्री विमलसागरजी से मुनि दीक्षा ग्रहण की । आप गृहस्थावस्था में तीन भाई और एक बहन हैं । लौकिक अध्ययन मैट्रिक तक किया है । आप बाल ब्रह्मचारी तथा संघ के सबसे कम उम्र के साधु हैं । आप बराबर अध्ययन, ध्यान तथा मौन में लीन रहते हैं ।
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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