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________________ दिगम्बर जैन साबु मुनि पार्श्वकीर्तिजी महाराज [ २७e आपका जन्म जिला बांसवाड़ा के तहसील गरी के लोहारिया गांव जाति नरसिंहपुरा में मातेश्वरी कूरीदेवी के कूख से सम्वत् १९७६ में हुआ | आपका नाम जवेरचन्दनी व पिताजी का नाम दाडमचन्दजी था । आपकी माताजी भद्र परिणामी व दयालु थीं। व्रत उपवास करती थीं। आपकी माताजी में एक यह विशेषता थी कि प्रत्येक सन्तान की उत्पत्ति के समय उपवास रखती थीं। आपके पिताजी गांव के प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। आपने १५ साल की अवस्था में व्यापार करना शुरू कर दिया था। आपकी धर्मपत्नी का नाम श्रीमती अमृतवाई है | आपकी इच्छा शुरू से हो दीक्षा लेने की थी । आपने ३० साल की अवस्था में मुनिश्री नेमिसागरजी महाराज बम्बई वालों से ब्रह्मचर्य व्रत लिना । सम्वत् २०३६ तारीस २३-२-७९ को श्री सम्मेदशिखरजी में जाचार्य श्री विमलसागरजी महाराज से क्षुल्लक दीक्षा ली। उसके बाद घाटोल में श्री १०८ धर्मसागरजी के शिष्य दयासागरजी से ऐलक दीक्षा ली। आपकी यह इच्छा थी कि मैं मुनि दीक्षा आचार्य श्री विमलसागरजी के द्वारा श्री सोनगिरीजो में तू । इस भाव के कारण आप = माह में पन्द्रह सौ मील चलकर आचार्य श्री विमलसागरजी महाराज के चरणों में सोनागिरी आये। यहां आकर आपने आचार्य श्री से सम्वत् २०३६ श्रावण हुदी को चन्द्रप्रभु प्रांगण में मुनि दीक्षा तो । तब से आपको ि पार्श्वकीर्तिजी के नाम से सम्बोधित किया जाने लगा ।
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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