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________________ [२४९ दिगम्बर जैन साधु आर्यिका विमलमतीजी . 517 श्री १०५ विमलमतीजी का गृहस्थावस्था का नाम फुलीबाई था। आपका जन्म आज से लगभग ७० वर्ष पूर्व अडंगावाद ( वंगाल ) में हुआ था। आपके पिता श्री छगमलजी थे। जो प्रेस का काम करते थे । आपकी माता श्री दाखावाई थी। आप खण्डेलवाल जाति की भूषण हैं। आपकी धार्मिक और लौकिक शिक्षा साधारण हुई । आपका विवाह भी हुआ । आपके परिवार में तीन भाई, दो वहन, तीन पुत्र व तीन पुत्रियां हैं । __ गुरु संगति के कारण भावों में विशुद्धि आयी । अतः आपने विक्रम सं० २०२६ में सुजानगढ़ (राजस्थान) में श्री आचार्य विमलसागरजी से क्षुल्लिका दीक्षा ले ली । आपको णमोकार आदि मंत्र का विशेष ज्ञान है । आपने तेल, दही आदि रसों का त्याग किया है तदनन्तर आचार्य धर्मसागरजी से आयिका दीक्षा लेकर आचार्य संघ में धर्म साधनारत हैं।
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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