SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 286
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २३८ ] दिगम्बर जैन साधु क्षुल्लक श्री पूरणसागरजी महाराज ___ श्री १०५ क्षुल्लक श्री पूरणसागरजी का गृहस्थावस्था का नाम राजमलजी जैन था। आपका जन्म आज से लगभग ७५ वर्ष पूर्व धरोजा जिला शाजापुर में हुआ था। आपके पिता श्री केशरीमलजी व माता श्री जड़ावबाई थी। आप जैसवाल जाति के भूषण हैं व सावला गोत्रज हैं । आपकी धार्मिक एवं लौकिक शिक्षा साधारण हो हुई। आपकी दो शादियां हुईं। आपके परिवार में दो पुत्र एवं दो पुत्रियां हैं। संसार की नश्वरता को जानकर आपने स्वेच्छा से विक्रम संवत् २०१७ की पूर्णिमा को बूंदी (राजस्थान ) में आचार्य १०८ श्री धर्मसागरजी महाराज से क्षुल्लक दीक्षा ले ली। आपने शाहगढ़, सागर, खुरई, झालरापाटन आदि स्थानों पर चातुर्मास कर धर्म वृद्धि की । आपने रस त्याग व दही का त्याग कर दिया है। क्षल्लक श्री संवेगसागरजी महाराज . NCER PuA .: .. आपका जन्म सं० १९६५ में डूगरपुर जिले के सरोदा ग्राम में हुवा था। आपके पिता का नाम माणिकचन्दजी तथा मां का नाम मोतीवाई था। आपके ४ बच्चे थे । अपना सारा जीवन व्यापार आदि में ही व्यातीत किया । बागड़ प्रान्त में प्राचार्य श्री के आगमन पर आपने आचार्य श्री से ७ वी प्रतिमा धारण की तथा २-६-८३ को पारसोला (उदयपुर) राजस्थान में परम तपस्वी आचार्य श्री धर्मसागरजी महाराज से क्षुल्लक दीक्षा धारण की। आप संघ में रहकर आत्म कल्याण के पथ पर अग्रसर हैं । ATE"
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy