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________________ २२२ ] दिगम्बर जैन साधु मुनिश्री बुद्धिसागरजी महाराज .. .. Pon" . . ART मुनि श्री का जन्म उदयपुर जिले के भिंडर कस्बे की वल्लभनगर तहसील में सं० १९७५ में हुआ था। आपके पिता का नाम श्री चंपालालजी था । आपके परिवार की गिनती कपड़े के प्रमुख व्यापारियों में थी । स्वर्गीय आचार्य श्री शिवसागरजी महाराज सा० के उदयपुर चातुर्मास के समय आप संघस्थ मुनिराज आदि त्यागीवृन्दों के दर्शनार्थ पधारे थे तब यकायक ही आपमें वैराग्य उमड़ पड़ा और आपने तत्काल आचार्य श्री चरणों में श्रीफल समर्पित कर पांचवीं प्रतिमा धारण कर ली। तत्पश्चात् दो वर्ष वाद ही आपने आठवीं प्रतिमा ले ली लेकिन उससे भी आपको चैन कहाँ मिलने वाला था। वैराग्य की भावना आपमें घर कर चुकी थी। परिणाम स्वरूप आपने श्री महावीरजी. में प० पू० आचार्य १०८ श्री धर्मसागरजी महाराज सा० से क्षुल्लक दीक्षा ले ली और बाद में जयपुर पहुंचकर आचार्य श्री से ही मुनिदीक्षा धारण कर ली । आप वर्तमान में धार्मिक भावनाओं से अोतप्रोत हो विहार करते हुये धर्म प्रचार में लगे हुये हैं।
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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