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________________ २१८ ] दिगम्बर जैन साधु मुनिश्री महेन्द्रसागरजी महाराज grrror - m th आपका जन्म संवत् १९८३ में टौंक के : पलाई ग्राम में हुआ था। उनके पिता का नाम बजरंगीलाल एवं माता का नाम श्रीमती कस्तूर बाई था । उनका एक भाई और है । धार्मिक. , संस्कार होने से उन्होंने वचपन से ही वैराग्य ले लिया । आचार्य महाराज के उपदेश से प्रभावित होकर टौंक में क्षुल्लक दीक्षा ली। बूदी में ऐलक " दीक्षा ली फिर शान्तिवीरनगर में सं० २०२५ में आपने मुनि दीक्षा ले ली। आपके छोटे भाई ने भी आपसे प्रभावित होकर मुनि दीक्षा धारण कर ली । उदयपुर ( राजस्थान ) में आपका समाधिमरण हुवा है। जो मुनिराज पांचों महानतों का पालन करते हैं । पांचों समितियों का पालन करते हैं, तीन गुप्तियों का पालन करते हैं। तेरह प्रकार के चारित्र को प्रयत्नपूर्वक पालन करते हैं, जो ध्यान और अध्ययन में लीन रहते हैं, ऐसे मुनिराज अपने मन में मोक्षसुख को धारण कर कर्मों का नाश करने के लिए तपश्चरण करते हैं, वे आत्मकल्याण कर अनन्त सुखों के स्वामी हो जाते हैं । उन्हींका जीवन धन्य है।
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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