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________________ म . . : Trte २१६ ] दिगम्बर जैन साधु मुनि श्री सम्भवसागरजी उदयपुर शहर में हमण जाति में मंत्रेश्वर गोत्रान्तर्गत श्री जवाहरलालजी के घर श्रीमती चम्पूबाईजी की कुक्षि से आपका जन्म हुआ। आपका जन्म नाम सुरेन्द्रकुमार था । बालक सुरेन्द्र के जीवन पर अपनी दादी की धार्मिक वृत्ति का प्रभाव पड़ा। वे एक धर्म परायण सत्चरित्र सुयोग्य महिला थीं । इनके पिता होनहार कर्मठ व्यक्ति हैं तथा मुनीमी का कार्य करते हैं। __ वालक सुरेन्द्र अपनी तीन बहिनों में ज्येष्ठ और माता पिता का एक मात्र पुत्र होने के कारण सभी के लिए अत्यन्त लाडला और प्रिय था। इसकी प्रारम्भिक स्कूली शिक्षा उदयपुर में ही कक्षा ४ तक हुई। सुरेन्द्रकुमार जब १० वर्ष का था तब एक स्थानकवासी साधु द्वारा किसी महिला को दीक्षा लेते देखकर इसके अन्तर में वैराग्य का उदय हुआ । फलतः दो माह बाद ही इसने कुछ व्रत लेकर धार्मिक वृत्ति का परिचय दिया । जब १२ वर्ष की अवस्था हुई तव दरियावाद में हुई मुनिराज आदिसागरजी महाराज की समाधि के अवसर पर संसार की असारता को प्रत्यक्ष देख सुरेन्द्रकुमार विह्वल हो उठा और तभी से गृह त्याग कर दिया । ६ माह बाद ही श्री देवेन्द्रसागरजी महाराज से दूसरी प्रतिमा के व्रत अङ्गीकार कर लिए । भावों में और निर्मलता आई और १४ अगस्त ६४ की शुभ बेला में परम पूज्य आर्यिका ज्ञानमतीजी से हैदराबाद में सप्तम प्रतिमा तक के व्रत अंगीकार कर लिए। अन्तर में विराग की निर्मल धारा बहने लगी और कर्म शत्रुओं से लिप्त निर्मल आत्मा में वैराग्य भावना की ज्योति जलने लगी फलतः तीन माह बाद ही कार्तिक शुक्ला एकादशी के दिन परम पूज्यं दिगम्बर जैनाचार्य श्री शिवसागरजी महाराज से अतिशय क्षेत्र परौराजी में क्षुल्लक दीक्षा ग्रहण कर निर्मल वैराग्यमयी भावना का आश्चर्यकारी प्रत्यक्ष उदाहरण प्रस्तुत कर दिया । केवल १८ वर्ष की अल्प अवस्था में संसार की असारता से भयभीत हो ऐसे सुमार्ग का अनुसरण कर जिस दृढ़ भावना का परिचय सुरेन्द्रकुमार ने दिया है, वह अनेकों भव्यों को कल्याणकारी संकेत की भांति हितकारी है। श्री महावीरजी पंच कल्याणक प्रतिष्ठा में प्राचार्य धर्मसागरजी से मुनि दीक्षा सं० २०२५ में ली। तथा मुनि के व्रतों को पाल रहे हैं।
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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