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________________ ... जैन इतिहास से प्रगट है. कि आजसे २४५२वर्ष पूर्व २४ तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी, जिनका धर्म चक्रअभी तक चल रहा है विहार जिले के कुंडलपुर नगर के माथवंशी राजा सिद्धार्थ के पुत्र थे, राजा सिद्धार्थ का विवाह सिंधु देश के महाराजा चेटक की बड़ी पत्री त्रिशल देवी (पियकारिणी) से हुभा'था, • जिन से महावीर स्वामी का जन्म हुआ ।) . ... ::, रानी. त्रिशला देवी की बहिन चेलना मगध देश की राजगृही नगरी के राजा श्रेणिक (: जिनका नाम भारतीय इतिहासों में विम्वसार लिखा है ) को व्याही गई थी. उसी . समय में कलिंग देश के यादववंशी मज़ा. जितशत्रु थे जिनको राजा सिद्धार्थ की बहिन यानी. महावीर स्वामी की वूमा ब्याही गई थी। इस तरह से उस : उस समय: भारतवर्ष के बड़े क्षत्रिय राजा महाराजा एक न एक सम्बध से जैन राजकुलों में थे। राजा चन्द्रगुप्त जैनी मौर्यवंशी क्षत्रिय था यह तंत्रिय ऊपकारिणी.महासभा ने माना है । जैन मित्र ता०९-१-२९ में राजस्थान के प्रसिद्ध राज्य कुलो में जैन धर्म" नामक लेख में मेवाड़ राज्य उदयपुर, मारवाड़ राज्य जोधपुर और जैसलमेर राज में जैन धर्म को मान्यता के ऐतिहासिक प्रमाण प्रगट किये हैं। जैन धर्म, राजाओं को ही, धर्म है उन्होंने इसे प्रगट किया है. यह समय का परिवर्तन है कि. आजकल जैन धर्म के धारो कम द ष्टिगत होते हैं. ऋषभदेव भगवानं का.सम्बत ७६ प्रह-प्रमाण है, जिससे जैन धर्म यानों जिन यां जन नाम भगवान ईश्वर के धर्म की प्राचीनता प्रगट होती है. हम अपने पाठकों के लाभार्था: मय-शङ्काप और उत्तर के यहाँ प्रकाशित करते हैं. (कुछ अंश दिः जनः अश:७:वर्ष १२: पत्र. १७ व १८ वैसाख वीर सं.२४४५ महासमादि के कोटा के अधिवेशन. प्रस्ताव . सातवें पर समर्थान:)
SR No.010185
Book TitleDharm Jain Updesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDwarkaprasad Jain
PublisherMahavir Digambar Jain Mandir Aligarh
Publication Year1926
Total Pages151
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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