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________________ " . . .१ से १००) तक : : सहायक ... हो.... ५००) उदार चिर . मुख्य पोषक २५.हीं . . १०१). श्रीमान : पोषक :.:::.स्त्री समाज ! - : म स्या हो .००) बी.एन . संस्थापिका . ५ हो. . .. ५०००) सी भूपय :: मुख्य संरक्षिका ३ हा ३०००) जनहिन रक्षिका .. ७ हो .. :: .२०००) जन हितषिका मुख्य सहायका १० ही... १७००) धर्मज्ञ सहायका : १५ ही . . . . ५००). उदार चित्त - मुख्य पोषिका... २५ हो . ९००). श्रीमती · : पोषिका .. .से ९९) तक ७- अजन समाज भी योग्य पदों से विभूषितं किंर जायगे!.. म-इस औषधालय को १२५) रुपये को मासिक जरूरत है श्रीमती भगवान देवी ने ३०००) का धोव्य फण्ड में दान किया है जिस - की आमदनी व्यांज में सिर्फ १५) मासिक है इस लिए. द्रल ...के प्रभाव से पूर्व रूप में कार्य चालू होना सम्भव है । देखि .. श्रीमती प्रीपधिदान कर परभव में चली गई. और यहाँ पुएवं यश संगई। .. . ...... .......... हमें अपने जीवन का एक पल का भी भरोसा करना योग्य नहीं और धर्म साधन में तत्पर रहना चाहिए। .. .... .१-इस औरंधालर के संरक्षक ट्रस्टीज,श्रीमनी: लंदनीकुमार जैन रईसों और श्रीमान वर महाराजसिंहजी जिनराजसिंहजी ...जम रईस जमदार कासगंज है। .... "१०-प्रबंधक श्रीमान या चतुभुज जी जैन गवर्नमेंट पेंशनर :: द्वारकाप्रसाद, होवीलाल जैन पोस्टमास्टर, खुन्नीलाल - B.SC (ENG) F.CI (BiR) इनजोनिअर तथा निर्माण ... प्रबंधक श्री महावीर दि. जैन मंदिर हाथरस है। .. समाज हितेपी.-. नगद जैन, मैनेजर व कोपाध्यक्ष ::-::... :..द्वारका श्रीमती भगवानदेवी जैन पारमार्थिक भाषघालय, मुकाम हाथरस ( जिला अलीग HATHRAS, U.P.
SR No.010185
Book TitleDharm Jain Updesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDwarkaprasad Jain
PublisherMahavir Digambar Jain Mandir Aligarh
Publication Year1926
Total Pages151
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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