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________________ ४८ बुद्ध : २५. अपने बरतने में लिए हुए बरतनों को मूल स्थान पर रख देना अथवा जिन्हें सौंपना हो उनके स्वाधीन कर देना । अपने को रहने के लिए मिले हुए स्थान के खिड़की-दरवाजे बंद करके दूसरे भिeyओं को (वे न हों तो चौकीदार को ) सूचना देकर जाना चाहिए । खटिया पत्थर के चार ठीयों पर रख तथा उसपर चौरंग आदि रखकर जाना चाहिए । १०. स्त्रियों के साथ संबंध : 1 २६. एकान्त भिक्षु को आपत्ति काल अथवा अनिवार्य कारण के बिना किसी स्त्री के साथ एकान्त में नहीं बैठना चाहिए | और सुज्ञ पुरुषों की अनुपस्थिति में उससे पाँच-छ: वाक्यों के सिवा अधिक संभाषण, चर्चा, अथवा उपदेश नही करना चाहिए; उसके साथ एकाकी प्रवास नही करना चाहिए। २७. एकान्त भंग : पति-पत्नी अकेले बैठे हों या सोए हों, उस भाग में पहले से सूचना दिए बिना भिक्षु को प्रवेश नही करना चाहिए । २८. परिचर्या : भिक्षु को अपने निकट सम्बधी के सिवा दूसरी स्त्री से वस्त्र घुलाना और सिलाना नहीं चाहिए । २९. भेंट : भिन्षु को किसी कौटुम्बिक संबंध-रहित स्त्री अथवा भिवपुणी को वस्त्रादि भेंट नहीं करना चाहिए ।
SR No.010177
Book TitleBuddha aur Mahavira tatha Do Bhashan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKishorlal Mashruvala, Jamnalal Jain
PublisherBharat Jain Mahamandal
Publication Year1950
Total Pages163
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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