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________________ बौद्ध शिक्षापद ५ ४३ (१०) मकान में जिस दिशा से हवा के साथ धूल उड़ती हो उस तरफ की खिड़कियाँ बंद कर देना । ठंड के दिनों में दिन को खिड़कियाँ खुली रखना और रातको बंद करना तथा गर्मी में दिन को वद रखना और रात को खुली रखना । (११) शिष्य को अपने रहने की कोठरी, बैठने की कोठरी, एकत्र मिलने की बैठक, स्नानगृह तथा पाखाने को साफ रखना चाहिए। पीने तथा बरतने का जल भरकर रखना, पाखाने में रखी कोठी में पानी खतम हो गया हो तो भरकर रखना । (१२) अध्ययन : गुरु के पास से नियत समय पर पाठ ले लेना और जो प्रश्न पूछने हो, वे पूछ लेना । (१३) गुरु के दोषों की शुद्धि : गुरु में धर्माचरण में असंतोष या त्रुटि उत्पन्न हुई हो अथवा मन में शंका उत्पन्न होने से मिथ्यादृष्टि प्राप्त हुई हो तो शिष्य दूसरे के जरिए उसे दूर करावे अथवा स्वयं करे । अथवा धर्मोपदेश करे । गुरु से संघ के खासकर नैतिक और सैद्धान्तिक नियमो का भंग हुआ हो तो उनका परिमार्जन हो और संघ उसे फिर से पहली स्थिति में ला रखे, ऐसी योजना करना । (१४) बीमारी : गुरु की बीमारी में वे जब तक अच्छे न हों अथवा न मरें तबतक उनकी सेवा करना । > 3 1 1 }
SR No.010177
Book TitleBuddha aur Mahavira tatha Do Bhashan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKishorlal Mashruvala, Jamnalal Jain
PublisherBharat Jain Mahamandal
Publication Year1950
Total Pages163
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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