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________________ dan -Anime ३८ शुद्धोपदेश सुनने में मेरा भाव रहेगा ऐसा तुम पूरा विश्वास रखो। इसलिये किसी भी तरह उपाधि-रहित मरण की शरण में जाओ। हे गृहपति, तुम्हारे बाद मैं बुद्ध भगवान का उपदेशित शील यथार्थ रीति से नहीं पालूगी ऐसी.तुम्हे शंका होना संभव है। लेकिन जो उत्तम शीलवती बुद्धोपासिकाएँ हैं उनमें से ही मै एक हूँ ऐसा आप विश्वास माने । इसलिए किसी भी प्रकार की चिन्ता के बिना मृत्यु को आने दो। हे गृहपति, ऐसा न समझना कि मुझे समाधिलाभ नहीं हुआ इसलिए तुम्हारी मृत्यु से मै बहुत दुःखी हो जाऊँगी। जो कोई वुद्धोपासिका समाधि-लाम वाली होंगी उनमे से मैं एक हूँ ऐसा समझो और मानसिक उपाधि छोड़ दो। हे गृहपति, बौद्ध धर्म का तत्त्व मैने अबतक नहीं समझा ऐसी भी शंका तुम्हें होगी, परन्तु जो तत्त्वज्ञ उपासिकाएँ हैं उनमें से ही मैं एक हूँ यह अच्छी तरह ध्यान में रखो और मन में से चिन्ताएँ निकाल दो।" १५. परन्तु सद्भाग्य से उस ज्ञानी स्त्री का पति अच्छा हो गया। जब बुद्ध ने यह बात सुनी तब उसके पति से उन्होंने कहा, "हे गृहपति, तुम बड़े पुण्यशाली हो, कि नकुल-माता जैसी उपदेश करनेवाली और तुमपर प्रेम रखनेवाली स्त्री तुम्हें मिली है। हे गृहपति, उत्तम शीलवती जो उपासिकाएँ हैं उनमें से वह एक है। ऐसी पत्नी तुम्हें मिली यह तुम्हारा महाभाग्य है।" १६. सच्चा चमत्कार : हृदय को इस तरह परिवर्तित कर देना ही इन महापुरुषों ___ का बड़ा चमत्कार है। दूसरे चमत्कार तो बालकों को समझाने के
SR No.010177
Book TitleBuddha aur Mahavira tatha Do Bhashan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKishorlal Mashruvala, Jamnalal Jain
PublisherBharat Jain Mahamandal
Publication Year1950
Total Pages163
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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