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________________ महाभिनिष्क्रमण १. जन्म: ' निरंतर जलती हुई अग्निमें कैसा आनंद और हास्य ? अंधकार में भटकने वालो, भला दीपक क्यों नहीं शोधते लगभग पच्चीससी वर्ष पूर्व हिमालय की तलहटीमें चंपारण्यके उत्तरम, नेपालको तराई में कपिलवस्तु नामक एक नगरी थी। शाक्य कुलके क्षत्रियोंका वहा एक छोटासा महाजनसत्ताक राज्य था । शुद्धोदन नामक एक शाक्य उसका अध्यक्ष था। उसे राजा कहा जाता था। शुद्धोदनका विवाह गौतमवंश की मायावती और महाप्रजापति नामक दो वहनोंसे हुआ था। मायावतीको एक पुत्र हुआ, लेकिन प्रसव के सात दिन बाद ही उसका स्वर्गवास हो गया । शिशुके पालन का भार महाप्रजापति पर आ गया। उसने शिशुका पालन अपने पुत्रकी तरह किया । उस बालकने भी उसे अपनी सगी माँके समान समझा। इस बालक का नाम सिद्धार्थ था। १. कोनु हासो किमानन्दो निच्चं पञ्जालिते सति । अन्धकारेन ओनद्धो (1) पदीपं नगवेसथ ।। २. इसी कारण बुद्ध शाक्य और गौतम मुनिक नामसे भी प्रसिध्द हैं।
SR No.010177
Book TitleBuddha aur Mahavira tatha Do Bhashan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKishorlal Mashruvala, Jamnalal Jain
PublisherBharat Jain Mahamandal
Publication Year1950
Total Pages163
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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