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________________ १३२ भाषण हो तो मेरी दृष्टि से ऐसी जयंतियों का कोई मूल्य नहीं है और मुझ जैसे मनुष्यो को बुलाकर उल्टा आपका रस-भंग होने की संभावना है। १२. अब जिस महापुरुष की आप जयंती मना रहे हैं उनके जीवन-विषयक दो-चार विचार प्रस्तुत करता हूँ। १३. महावीर की मातृ-भक्तिः आपका ध्यान मैं पहले महावीर की मातृ-भक्ति की ओर खींचता हूँ। महावीर के विषय में उनका जीवन-चरित्र लिखनेवालो ने कहा है कि गर्भ मे हिलने-डुलने से माता को वेदना होगी इस विचार से वे हिलते-डुलते तक न थे। इस बात में कवि की अतिशयोक्ति होगी लेकिन उनके विवाह आदि प्रसंगों से साफ मालूम होता है कि उनका हृदय वाल्य-काल से ही मातृ-प्रेम और कोमल मावों से ओत-प्रोत था। १४ पर-दुख कातरता या समभावना : दूसरो के लिए दुखी हुए विना और उनका दुख निवारण करने के लिए दौडकर पहुंचे विना चलता ही नहीं, ऐसा जिनका स्वभाव पड़ गया है ऐसे महावीर, बुद्ध, गांधी या ऍडरूज किसी भी सत्पुरुष का कौटुम्बिक जीवन देखें तो स्पष्ट मालूम होगा कि इनका बचपन ऐसे कुटुम्ब मे गुजरा होगा जहाँ स्नेह ही स्नेह भरा होगा और वचपन के बाद का जीवन भी इसी तरह स्नेह से भरा होगा। उन्होंने बँटवारे के लिए कभी झगडे नहीं किए होगे। अपने और
SR No.010177
Book TitleBuddha aur Mahavira tatha Do Bhashan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKishorlal Mashruvala, Jamnalal Jain
PublisherBharat Jain Mahamandal
Publication Year1950
Total Pages163
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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