SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 40
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ स्थान प्राप्त किया कि किसी भी शाखा की न तो उपेक्षा की जा सकती है और न दूसरी शाखा एवं विरोधी मतों का गहन अध्ययन किये बिना उनको समझा जा सकता है । यह आवश्यक है कि इन सभी दर्शनों का एक साथ उनके पारस्परिक पक्ष विपक्षो को ध्यान में रखते हुए एकरूपता के दृष्टिकोण से अध्ययन किया जाये । यदि ध्यान से देखा जाय तो यह निर्विवाद रूप से पता चलता है कि भारत में सभी दर्शनों का विकास यद्यपि एक साथ नहीं हुआ किन्तु उनमें परस्पर अद्भुत सहयोग है। सभी दर्शन साथ-साथ जीवित रहे हैं इसका कारण यह है कि भारत में दर्शन को जीवन का एक अभिन्न अंग माना गया है। ज्यों ही एक सम्प्रदाय का विकास होता है त्यों ही उसकी विचारधाराओं को मानने वाले अन्य सम्प्रदाय का भी प्रादुर्भाव हो जाता है। उस दर्शन के समाप्त होने के बाद भी उसके अनुयायियों के द्वारा दर्शन एक पीढी से दूसरी पीढी तक जीवित होता चला जाता है। यही कारण है कि भारत में दर्शन आज शताब्दियों के बाद भी जीवित है। भारतीय दर्शन के आस्तिक सम्प्रदायों का विकास सूत्र साहित्य के द्वारा हुआ है। सूत्र साहित्यों से होने के कारण दर्शनो की प्रामाणिकता अधिक बढ़ गई है। प्राचीन काल में लेखन - शैली विकसित नही थी । अतः जो भी विचारधाराएं थी वे मौखिक रूप में ही थी । किन्तु कालक्रमानुसार बाद में ये सूत्रों के रूप मे आबद्ध होने लगी और प्रत्येक दर्शन के प्रणेता ऋषियों ने सूत्र साहित्य की रचना की। न्याय दर्शन का ज्ञान गौतम के न्याय सूत्र, वैशेषिक का ज्ञान कणाद के वैशेषिक सूत्र से सांख्य का कपिल के सांख्य सूत्र जो अप्राप्य है तथा योग का ज्ञान पंतजलि के योग सूत्र, मीमांसा का ज्ञान जैमिनि के मीमांसा सूत्र तथा वेदान्त का ज्ञान वादरायण के 'ब्रह्म - सूत्र' द्वारा प्राप्त होता है । सूत्र सभी को सरलता से समझ में नहीं आ सकते थे क्योंकि ये अत्यन्त संक्षिप्त सारगर्भित और अगम्य होते थे । इसलिए इन सूत्रों पर टीकाकारों ने टीकाओ - भाष्यों की 23
SR No.010176
Book TitleBramhasutra me Uddhrut Acharya aur Unke Mantavyo ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandanadevi
PublisherIlahabad University
Publication Year2003
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy