SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 353
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि विवरण-प्रस्थान के मूल संस्थापक पद्मपाद का मुख्य लक्ष्य शाङ्कर अद्वैत वेदान्त को मण्डन मिश्र के अद्वैतवाद से भिन्न करना था तथा इसमें उनको और अनुवायियों को पर्याप्त सफलता भी मिली। वाचस्पति मिश्र ने पद्मपाद की पञ्चपादिका का कहीं-कहीं खण्डन किया है। अमलानन्द सरस्वती ने इस खण्डन को और उजागर किया है और वे एक स्थान पर कहते है पञ्चपादीकृतस्तु वाजसनेयिवक्यस्यापि आत्मोपक्रमत्वलाभे किं शास्त्रानंतरालोचनयेति पश्यन्तः पुरुषनूद्य वैश्वानरत्वं विधेयमिति व्याचक्षते, तद् दूषयति। (कल्पतरु १.२.२६) वस्तुतः प्रकाशात्मा ने विवरण में भामती का प्रबल खण्डन किया है विवरण प्रस्थान के अनुवायी अनुभूति स्वरूप ने प्रकटार्थ-विवरण में वाचस्पति के ऊपर अनेकों आक्षेप लगाये। यथा- विवरण प्रस्थान का आक्षेप है कि वाचस्पति मण्डन पृष्ठ सेवी है और सूत्र तथा भाष्य के अर्थ से अनभिज्ञ है। वाचस्पति मिश्र अन्यथाख्याति को मानते है जब कि अद्वैतवेदान्त में अनिर्वचनीय ख्यातिवाद को माना जाता है। 'गाकर और नाचस्पति वाचस्पति मिश्र की भामती' ने निःसन्देह शकर के शारीरक भाष्य की रक्षा की है विशेषतः उन दर्शनों से जिसका खण्डन स्वयं शङ्कराचार्य ने तर्कपाद में किया था। भामती ने अन्य विरोधी दर्शनों द्वारा लगाये गये प्रतिवादों का निराकरण किया। फिर भी दोनों के दर्शनों का अध्ययन करने पर शङ्कर और वाचस्पति के मतों में कुछ अन्तर अवश्य दिखाई देता है। इस अन्तर को सर्वप्रथम अमलानन्द ने इस प्रकार प्रकट किया स्वशक्त्या नटवद् ब्रह्मकारणं शङ्करोऽब्रवीत । 339
SR No.010176
Book TitleBramhasutra me Uddhrut Acharya aur Unke Mantavyo ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandanadevi
PublisherIlahabad University
Publication Year2003
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy