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________________ युक्ति-युक्त तर्को की संगति को देखकर विवरणोत्तर प्रायः सभी अद्वैताचार्य इससे अत्यन्त प्रभावित है। विवरण सम्प्रदाय के अग्रणी आचार्यों के नाम इस प्रकार हैतत्वदीपनकार अखण्डानन्द, आनंदपूर्ण विद्यासागर, भावप्रकाशिकाकार नृसिंहाश्रम ऋजुविवरणकार सर्वज्ञ विष्णुभट्ट, तात्पर्य दीपिकाकार चित्सुखाचार्य यज्ञेश्वरदीक्षित, विवरण प्रमेय संग्रहकार विद्यारण्यस्वामी आदि। किन्तु इसमें सन्देह भी नहीं कि इनका अपना-अपना मत और अपना वैशिष्ट्य भी है। विवरण सम्प्रदाय की एक और महत्वपूर्ण विशेषता है कि विवरण सम्प्रदाय में आचार्य शंकर से लेकर आज तक जितने भी लेखक और टीकाकार जुड़े वे सभी प्रायः गृहत्यागी-सन्यासी थे। संभवतः यही कारण है कि आज भी, जहां भी वेदान्त का अध्ययन-अध्यापन-लेखन होता है वे सभी स्थान अधिकांशतः आश्रम या मठ है। साधु-सन्यासियों ने अपने वेदान्त अध्ययन में विवरण को ही अनुकरणीय मानते है। विवरण सम्प्रदाय में ब्रह्मसूत्र शारीरक भाष्य, पंचपादिका पर गंभीर अध्ययन होता है। विवरण दण्डी सन्यासियों की आध्यात्मिक पिपासा को शान्त करता है यह अद्वैत सिद्धान्त का प्रमुख दर्पण है। प्रकाशात्मयति. अखण्डानन्द, विद्यारण्य आदि सभी सन्यासी थे इसके विपरीत भामती प्रस्थान के प्रणेता स्वयं वाचस्पति मिश्र गृहस्थ थे और इसलिये उनके अनुयायी भी अधिकांशतः गृहस्थ थे किन्तु अमलानन्द भामती प्रस्थान में एक सन्यासी है जो कि इस प्रस्थान के अपवाद है। मण्डन मिश्र के दार्शनिक विचारों का अध्ययन करने पर तथा विवरण प्रस्थान का सूक्ष्म अवलोकन करने पर दोनों प्रस्थानों में निम्न अन्तर परिलक्षित होता है१. जैसा कि स्पष्ट है कि विवरण प्रस्थान के आचार्य शब्दापरोक्षवादी है क्योंकि वे वेदान्त जन्य ज्ञान से ही ब्रह्मसाक्षात्कार मानते है जैसा कि शङ्कराचार्य ने भी माना था। किन्तु इसके विपरीत मण्डनमिश्र एवं उनके अनुयायी वाचस्पति शब्द जन्य ज्ञान 337
SR No.010176
Book TitleBramhasutra me Uddhrut Acharya aur Unke Mantavyo ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandanadevi
PublisherIlahabad University
Publication Year2003
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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